आप पहचान कराई अपनी ,लई अपने पास जगाए जी।
बड़ी बड़ाई दई आपथें,लई इंद्रावती कंठ लगाए जी ।।
श्री प्रकाश हिंदुस्तानी प्रकरण 36 चौपाई 7
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श्री देवचन्द्र जी ने अपने प्रीतम को सेवा से प्रसन्न किया। हमेशा उनको अपने तन मन में बसा कर रखा तब प्रीतम ने तीन बार दर्शन दिये (एक बार बारात के पीछे जाते हुए सिपाही के भेष में, दूसरी बार चितवन में अखण्ड ब्रज का ध्यान धरते समय तथा तीसरी बार श्यामजी के मन्दिर में)। तीसरी बार तारतम वाणी से घर की सब बातें बताईं और धाम धनी ने इश्क रब्द की सब सुध दी।
Read Quiz →जो सत्य ( अखंड) है ,चेतन ( निरंतर लीला करने वाला ) और आनंद देने की क्रिया करता है। सत्य +चित्त +आनंद =सच्चिदानंद अर्थात पूर्ण ब्रह्म परमात्मा श्री राज जी महाराज ही हैं । इस जागनी लीला में कुरान में भी खुदा की तीन सूरत का ब्यान किया है जिसे बसरी अर्थात सत , मलकी अर्थात आनंद ,हकी अर्थात चिदघन कहा है
Read Quiz →ईसा रूहअल्ला (श्यामा जी के पहले तन श्री देवचन्द्र जी) में जब मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम (अक्षर की आत्मा) का प्रवेश हुआ तो उस स्वरूप को अहमद कहलाने की शोभा मिली। जब यह स्वरूप श्यामा जी के दूसरे तन (श्री मिहिरराज जी) में मेंहदी (महामति) में मिला तो इन तीनों स्वरूपों को ईमाम अर्थात् (प्राणनाथ) कहा गया। पांचों शक्तियों के श्री इन्द्रावती जी के धाम-हृदय में विराजमान होने पर उन्हें महामति की शोभा म...
Read Quiz →आवो जी वाला मारे घेर यह प्रकरण तीन चौपाई का श्री किरंतन किताब में से है
Read Quiz →पूर्व में 16 देहुरी के घाट की जमीन से एक भोम नीचे जल की जमीन आई है उसी जमीन से 9 भंभों की 5 हारें आने से 44 थंभ आये हैं बीच वाला थंभ कुंड की वजह से नहीं आया अब इन 44 थंभों के ऊपर जमीन पर 7 थंभों की 5 हारें आने से 34 थंभों की शोभा आई है यहाँ भी कुंड के लिए बीच वाला थंभ नहीं आया है
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