आज की चौपाई

आप पहचान कराई अपनी ,लई अपने पास जगाए जी।
बड़ी बड़ाई दई आपथें,लई इंद्रावती कंठ लगाए जी ।।

श्री प्रकाश हिंदुस्तानी प्रकरण 36 चौपाई 7

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हवे पेहेलां मोहजल नी कहूं बात । यह प्रकरण कहाँ पर उतरा बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

दीप बंदर जय राम भाई कंसारा जी के घर

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उदयपुर से जो श्री जी ने फकीरी भेष धारण किया था वोह उन्होंने कहाँ तक पहना था बताईए सुन्दरसाथ जी

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श्री जी ने उदयपुर में फकीरी भेष धारण किया था और श्री पन्ना जी तक पहना था क्योंकि श्री महाराजा छत्रसाल जी ने ही उनको चोपड़ा की हवेली में राजसी वस्त्र पहनाए थे और आभूषण भी पहनाए थे

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देख्या ब्रजरास को, तीसरे जो हिसाब । आए मेरे आगे बातें करे, लेकर बड़ा सवाब ॥ मंगलाचरण की इस चौ. में किन बातों का जिक्र किया गया है बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

ब्रज में ११ साल ५२ दिन की लीला और रास में एक अखण्ड रात्रि की लीला देखने के बाद जब परमधाम वापिस गए तो उल्टा श्री राज जी महाराज कहते हैं कि मुझे ही रूहें सिखापन देने लगी कि आपकी माया ने ब्रज, रास में हमारा क्या बिगाड़ा। ये माया एक पल भी आपके चरणों से जुदा नहीं कर सकी। इसलिए आपने जो-जो खेल में दिखाने को कहा था और ब्रज रास में नहीं देखा, वह हमने अब अवश्य ही देखना है।

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यह दृश्य कहाँ का है बताईए सुन्दरसाथ जी

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श्री पुखराज जी का

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हो वतनी बांधो कमर तुम बांधो, सुरत पिआसों साधो । तीनों कांडों बड़ा सुकदेव,ताकी बानी को कहूं भेव ।। इस चौपाई में तीनों कांडों से क्या अभिप्राय है बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

हे परमधाम के प्यारे सुन्दरसाथ ! तुम कमर बांधकर खड़े हो जाओ और अपनी सुरता (ध्यान) को धनी के चरणों में लगा दो। कर्म, उपासना और ज्ञान तीनों काण्डों में शुकदेवजी का ज्ञान बड़ा है। उनकी वाणी की हकीकत मैं बताती हूं।

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