आज की चौपाई

आप पहचान कराई अपनी ,लई अपने पास जगाए जी।
बड़ी बड़ाई दई आपथें,लई इंद्रावती कंठ लगाए जी ।।

श्री प्रकाश हिंदुस्तानी प्रकरण 36 चौपाई 7

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मैं अंग इमाम को,मोमिन मेरे अंग। बीच आए तिन वास्ते,करूं सब एक संग ॥ सनंध की इस चौपाई में कौन किसका अंग है बताईए सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

यहाँ श्री महामति जी के हृदय में विराजमान श्यामा जी की आत्मा कहती है कि मैं परब्रह्म अक्षरातीत की अंग रूपा हूं तथा सभी ब्रह्ममुनि मेरे ही अंग हैं। सभी माया का खेल देखने इस संसार में आए हैं। अब मैं तारतम ज्ञान के प्रकाश में सबको परब्रह्म की पहचान कराकर एकत्रित करूंगी।

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नूर बाग की चांदनी पर क्या शोभा आई है बताईए सुन्दरसाथ जी

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फूल बाग की

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किस आत्म ने श्री जी के रहते दो बार तन धारण करके उनके चरणों में तन छोड़ा बताईए सुन्दरसाथ जी

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अमलावती की आत्म ने पहले फूल बाई के तन में फिर तेज कुंवरी के तन में

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तब श्री जी साहिब जी ने कह्या, जो कोई लूला पांगला साथ । इन्द्रावती न छोड़े तिनको, पहुंचावे पकड़ हाथ ॥ यह बात श्री जी ने श्री बीतक साहिब में कहाँ पर कही थी बताईए सुन्दरसाथ जी

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सूरत में

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सो बुध दोऊ अर्सों की, दोऊ सरूप थें जो गुझ । ए सुख कायम अर्स रूहन के, सो कायम कुंजी दई मुझ । । सिनगार के दूसरे प्रकरण की चौ का बेवरा करें सुन्दरसाथ जी

by Shri Nijanand Samparday

अब श्री राजजी महाराज की जागृत बुद्धि तारतम वाणी ने रंग महल और अक्षरधाम इन दो अर्सों की तथा श्री राजजी महाराज और अक्षरब्रह्म के स्वरूप की जानकारी दी। इन्हें आज दिन तक कोई नहीं जानता था। इस तरह से अर्श की रूहों के अखण्ड सुखों की जानकारी किसी को नहीं थी। उस अखण्ड की जानकारी जागृत बुद्धि के ज्ञान से मुझे दी है।

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