आज की चौपाई

आप पहचान कराई अपनी ,लई अपने पास जगाए जी।
बड़ी बड़ाई दई आपथें,लई इंद्रावती कंठ लगाए जी ।।

श्री प्रकाश हिंदुस्तानी प्रकरण 36 चौपाई 7

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Shri Nijanand Samparday

सरूप रूहों के मन के, जो कछुए मन चाहे । ऊपर तले माहे बाहेर, एक पल में काम कर आएं ॥ रूहो के मन का सरूप कौन है बताईए सुन्दरसाथ जी

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खूब खुसालियां रूहों के मन का सरूप हैं

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हुकमें देखाया हुकम को, तिन हुकमें देख्या हुकम । भिस्त दोजख उन हुकमें, आखिर सुख सब दम ।। सिंधी 16/10 इस चौपाई का मतलब बताईए सुन्दरसाथ जी

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धाम धनी जी ने खेल दिखाने के लिए अपना हुक्म का स्वरूप बनाया और 12000 रूहों के भी हुक्म के स्वरूप बनाये । अब चौ . मंथन करें ,धाम धनी की आज्ञा (आदेश) ने हुक्म स्वरूपा आत्माओं को माया का यह खेल दिखाया है। धाम धनी के हुक्म से ही आत्माओं ने इस हुक्म (आदेश) स्वरूप ब्रह्माण्ड को देखा है। संसार के सभी प्राणियों को न्याय (आखिरत) के दिन हुक्म से ही बहिश्तों का सुख प्राप्त होगा और दोजक में प्रायश्चित की अग्न...

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सुकव्यास कहे भागवत में, प्रेम न त्रिगुण पास । यह चौपाई श्री कुलजम सरूप साहिब के कौन से ग्रन्थ से है बताईए सुन्दरसाथ जी

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परिकरमा ग्रन्थ से प्रेम को अंग बरनन वाले प्रकरण की चौथी चौपाई

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रब रसूल बतावे गैब का, हम पूजें जाहेर। हम बातून को पोहोंचे नहीं, देखें नजर बाहेर ।। खि. प्र .13/ 23 इस चौ. का बेवरा करें सुन्दरसाथ जी

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रसूल साहब कहते हैं कि पारब्रह्म अतीत में छिपे हैं जो दिखाई नहीं देते। हमारा खुदा मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारों में बैठा है। उसकी हम पूजा करते हैं। हम छिपे परमात्मा को जो नजर नहीं आता, नहीं मानते। हम तो परमात्मा को सामने देखकर पूजते हैं (हम प्रत्यक्ष की पूजा करते हैं, परोक्ष की नहीं)।

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प्याले-निसबत-मोमिनों-हुकमें-ए इस्क -महामत-हक-भर-सागर-फूल-ल्यो-कहे ए -भर-पिओ । कृपया इस चौपाई को सही से बताईए सुन्दरसाथ जी

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महामत कहे ए मोमिनों,ए निसबत इस्क सागर। ल्यो प्याले हक हुकमें, पिओ फूल भर भर ।।

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